अंतर्मन
Monday, February 21, 2011
सुख
स्वछंद उड़ने का सुख
वही जान सकता है
जिसने नापा हो सारा आकाश
अपने खुले पंखो से
या फिर पाया हो जिसने
जीवन का अमृत सार
या जिया हो जिसने कभी भी
एक पल प्रेम में ....................
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