Thursday, February 3, 2011

राजमुकुट

मैं राजा बनाना चाहता था
एकदम वैसा ही
जैसा मेरी माँ के पूजा घर में
टंगे कलेंडर में बना है एक राजा
चमकीले से कपडे का पहना है उसने राजमुकुट
मै भी पहनना चाहता था वैसा ही राजमुकुट
मैंने अपनी बहन के खिलोने के डिब्बे से
चुरा लिया था उसका चमकीला कपड़ा
और बनाया था उससे अपने लिए राजमुकुट
मैं भी लग रहा था एकदम वैसा ही राजा
जिसने पहन रखा था एक चमकीला सा राजमुकुट
जो किसी और के हिस्से के चिथड़ो का था।

1 comment:

  1. last line me saari kavita ka mza tha kisi thriller film ki tarah..... bahut accha

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