Thursday, February 3, 2011

घाव

डूबने वाले नदी के घाट पर डूबा किये,
यह तमाशा हम कलम की नोक से देखा किये।
आपने पत्थर उछाला है शिकारों की तरफ ,
ज़िन्दगी भर घाव फूलो की तरह महका किये।

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