Tuesday, February 1, 2011

सूरज की खोज

रोज चढ़ता है उतरता है सूरज
जाने क्या खोजता रहता है सूरज
घर की मुंडेर पे सारा दिन
यूँ ही बेसबब टंगा रहता है सूरज
इतना बड़ा होकर भी जाने क्यों
पेड़ की परछाई से डरता है सूरज
मैंने पूछा जो लपक कर उस दिन
झट जा के कही दूर छुपा था सूरज
मैंने खोजा तो बहुत है उसको
मिलता ही नहीं है मुझको तबसे सूरज
कोई कहता है मुझे तबसे यू ही
शायद किसी मासूम से चेहरे में छुपा है सूरज
मैंने खोजा तो बहुत है उसको
क्या तुमने कही देखा है सूरज ?

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