अंतर्मन
Monday, February 7, 2011
बस दो पल
"मत कहो यूँ अब और"
कहकर तुमने मेरे लबों पर
अपनी उंगलियाँ रख दी थी
फिर पल भर पल के बाद
सहमकर हटा ली थीं तुमने अपनी उंगलियाँ
कहा कुछ भी नहीं था तब तुमने
और न ही मैंने
बस पहली बार दो पल के लिए
जिया था मैं .............
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment