उससे कह दो मुझे अब सताना छोड़ दे
दूसरो के साथ रहकर हरपल मुझे जलाना छोड़ दे
या तो कर दे इनकार के मुझसे मोहब्बत है ही नहीं
या तो गुजरते हुए मुझे देखकर मुस्कुराना छोड़ दे
न करे बात मुझसे कोई ग़म नहीं है मुझे लेकिन
यूँ सुनकर आवाज़ मेरी झरोखे पे आना छोड़ दे
कर दे दिल-ऐ-बयां जो छुपा रखा है
यूँ इशारों में हाल बताना छोड़ दे
क्या इरादा है अब बता दे तू मुझको
यूँ दोस्तों को मेरे किस्से सुनना छोड़ दे
है पसंद सफ़ेद रंग मुझे बहुत
उस लिबास में बार बार आना छोड़ दे
न कर याद मुझे बेशक यू कोई गिला नहीं
पर किताबो में मेरा नाम लिखकर मिटाना छोड़ दे
खुदा कर सके अगर आसान ये किस्सा
या तू मेरी हो जा या मुझे अपना बताना छोड़ दे..........
kya likhte ho bhai....
ReplyDeleteappki is kavita me hai bahut sacchai
hum to un hi kahenge
mehfil me kayamat aayi
an endearing innocence
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