Monday, April 25, 2011

याद

कभी सोचा नहीं था कि मैं इतना मुस्कुराऊँगा
कभी सोचा नहीं था कि उन्हें इतना याद आऊँगा
उन्हें याद आना है बेवफाई मेरी पर क्या करू
उन्हें याद आकर सारी रात मैं सताऊँगा
तैरूँगा रात भर मैं भी आंसूओं के समंदर में
सुबह उतर कर पार हो जाऊँगा
बस यादो के मौसम में कभी डूबकर यूँ ही
किसी अपने के पास चुपके से पहुँच जाऊँगा

No comments:

Post a Comment