Saturday, April 23, 2011

चाय

जितना मुश्किल था सवाल मेरा


उतना ही आसान आया जवाब उनका


ज़िन्दगी क्या है?


चाय की प्याली कपकपाते हाथो में लेकर


बच्चे सी मासूमियत से चुस्की ली


फिर पूपले मुह से तुतलाए


चाय ज़िन्दगी है


अटपटा सा जवाब लगा


पुछा कैसे भला


दूजी चुस्की के बात वह फिर तूत्लाये


चाय ज़िन्दगी है


ज़िन्दगी कडवाहट है चाय पट्टी की तरह


ज़िन्दगी मीठी है शक्कर की तरह


ज़िन्दगी हौले से जियोगे तो जी जाओगे


जल्दी जल्दी में जल जाओगे


करके अपनी तुत्लाई बातों से कायल मुझे


दुबारा लेने लगे चुस्की


एकदम आसान सी ज़िन्दगी की तरह


अब मुझे भी लग रही है


चाय की इच्छा


चाहस .................

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