अंतर्मन
Thursday, February 3, 2011
एक पल
बहुत दिनों के बाद जब कोई लौटे अपना
और कुछ न कहे बस मुस्कुरा दे
जाने कितनी दूरियों की बर्फ को
बस पल भर में पिघला दे
ऐसा एहसास जो न था पहले कभी भी
उन सब तमन्नाओ को एक पल में जगा दे
बस वह एक पल मुझको मेरे खुदा
मेरी सारी उम्र के बदले में मुझको दिलादे
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